Chota Nagpur Plateau in Hindi

Climate | Geography of Jharkhand in Hindi

Climate: झारखंड की जलवायु आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय से लेकर पूर्व-दक्षिण में उष्णकटिबंधीय नम-शुष्क (सवाना) जलवायु तक फैली हुई है। भारतीय मानसून के प्रभाव के कारण, यहाँ चार ऋतुएँ होती हैं, ग्रीष्म, वर्षा, शरद ऋतु और शीत ऋतु।

Climate:

  • झारखंड की जलवायु मुख्यतः उष्णकटिबन्धीय मॉनसूनी प्रकार की है।
  • राज्य की जलवायु न केवल अक्षांशीय स्थिति बल्कि कई अन्य भौगोलिक कारणों यथा- उच्चावच, समुद्र से निकटता, वनस्पतियों की प्रचुरता आदि से निश्चित होती है।
  • कर्क रेखा झारखंड के बीच से होकर गुजरती है।
  • कर्क रेखा नेतरहाट, किस्को, ओरमांझी, गोला, मुरहुलसुदी, गोपालपुर, पोखन्ना, गोसांइडीह, झालबरदा, पालकुदरी होकर गुजरती है।

(i) Climate: मौसम :

  • झारखण्ड में मुख्य रूप से तीन प्रकार के मौसम पाये जाते हैं। ये हैं

★ ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून) :

  • झारखण्ड में ग्रीष्म ऋतु का आरंभ मार्च महीने से होता है।
  • मार्च से मई तक समस्त झारखण्ड में तापमान बढ़ता जाता है तथा वायुभार कम होता जाता है।
  • अप्रैल तथा मई के महीने में सूर्य के उत्तरायण होने की स्थिति के तथा तेज धूप के कारण दिन का तापमान बढ़ जाता है। मई में सम्पूर्ण राज्य में भीषण गर्मी पड़ती है, अर्थात् मई सबसे गर्म महीना होता है। उस समय राज्य का अधिकतम तापमान 40°C या उससे भी अधिक हो जाता है।

★ वर्षा ऋतु (मध्य जून से अक्टूबर) :

  • राज्य में वर्षा ऋतु का समय जून से अक्टूबर तक का होता है।
  • सिद्धांततः वर्षा ऋतु का आरंभ जुलाई माह से माना जाता है, किन्तु भारत में वर्षा ऋतु का आधर मानसून को माना जाता है, जिसका आगमन झारखण्ड में 10 जून के आस-पास होता है। यह समय राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय माना जाता है।
  • राज्य में कुल वर्षा का 80% से अधिक इसी समय होती है, यह वर्षा मुख्यतः दक्षिण-पश्चि मानसून द्वारा होती है।
  • झारखण्ड में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के प्रवेश का सही समय 7 जून है, किन्तु मध्य जून (15 जून) तक इसका विस्तार सम्पूर्ण राज्य में हो जाता है।
  • झारखण्ड के पूर्वी भाग में मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी की शाखा से, जबकि पश्चिमी एव मध्यवर्ती भाग में बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर की शाखाओं से वर्षा होती है।

★ शीत ऋतु (नवंबर से फरवरी) :

  • शीत ऋतु का आरंभ वर्षा ऋतु की समाप्ति के पश्चात् होता है।
  • शीत ऋतु नवंबर से फरवरी माह तक बनी रहती है। यह समय राज्य में उत्तर-पूर्व मॉनसून का समय होता है।
  • नवंबर से फरवरी तक झारखण्ड में उच्च वायुमार का क्षेत्र बना रहता है।
  • राज्य में दिसम्बर सबसे ठण्डा महीना होता है।
  • शीत ऋतु में पवनों की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर होती है। इस समय कभी कभी वर्षा उत्तर पश्चिमी विक्षोम से भी हो जाती है।

(ii) Climate: तापमान :

  • झारखण्ड का औसत वार्षिक तापमान 25°C है।
  • पाट क्षेत्र का औसत वार्षिक तापमान 23°C से कम है, जबकि पलामू, गढ़वा, पूर्वी सिंहभूम, प सिंहभूम, चतरा के उत्तरी भाग तथा संथाल परगना के पूर्वी भागों में औसत वार्षिक तापमान 26/ से अधिक पाया जाता है। शेष क्षेत्रों का वार्षिक तापमान 23°C से 26°C के मध्य रहता है।
  • ग्रीष्म काल में राज्य का उत्तर-पश्चिमी भाग (उत्तरी पलामू तथा उत्तरी गढ़वा) सबसे अधिक गर्म होता है। यहां मई माह का औसत तापमान 32°C से ऊपर चला जाता है।
  • मई सबसे गर्म महीना होता है। मई में जमशेदपुर मेदिनीनगर, धनबाद आदि कई जगहों का अधिकतम तापमान 40°C से ऊपर चला जाता है।
  • पाट क्षेत्र तथा रांची के पठार के पश्चिमी भाग में मई का औसत तापमान 27°C से नीचे रहता है।
  • मई में हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, धनबाद, संथालपरगना, सरायकेला तथा पूर्वी सिंहभूम के क्षेत्र का औसत तापमान 30°C से 32°C के मध्य पाया जाता है।
  • बोकारो, गिरिडीह, गुमला, सिमडेगा तथा रांची के अधिकांश भागों में मई का औसत तापमान 27°C से 30°C के मध्य मिलता है।
  • शीतकाल में राज्य का तापमान 15.5°C से 21.1°C के बीच रहता है।
  • शीतकाल में पश्चिमी भाग का तापमान 16°C से कम पूर्वी भाग का तापमान 17°C से 1990 मध्यवर्ती भाग का तापमान 16°C से 17°C तथा दक्षिण-पूर्वी भाग का तापमान 19°C अधिक होता है।
  • जनवरी में हजारीबाग का औसत तापमान 16.4°C और रांची का 17.3°C रहता है।
  • दिसम्बर तथा जनवरी के महीने में शीतलहर के प्रभाव के कारण यहां का तापमा कभी-कभी 5°C से भी नीचे चला जाता है।

(iii) Climate: वर्षा :

  • झारखण्ड मॉनसूनी वर्षा का प्रदेश है। यहां वर्ष के अधिकांश महीनों में सूखा रहता है, हालांकि यहां ग्रीष्म तथा शरद ऋतुओं में भी कुछ वर्षा होती है।
  • राज्य में औसत वार्षिक वर्षा 140 सेंमी. होती है, किन्तु यहां के अधिकांश भागों में 125-150 सेमी. वर्षा होती है।
  • झारखण्ड में वर्षा बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून हवाओं से होती है। इन हवाओं से कुल वर्षा का 80% वर्षा होती है।
  • झारखण्ड के पाट प्रदेश एवं दक्षिण-पूर्वी भाग में वर्षा अरब सागर की मॉनसूनी शाखा से भी होती है।
  • राज्य में सर्वाधिक वर्षा नेतरहाट (180 सेंमी. से अधिक) में होती है।
  • पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा तथा रांची के अधिकांश क्षेत्रों में 140-160 सेमी. वर्षा होती है।
  • हजारीबाग, बोकारो, दक्षिणी गिरिडीह, सरायकेला तथा देवघर में औसत वार्षिक वर्षा 120-140 सेमी. होती है। पलामू गढ़वा चतरा का उत्तरी भाग, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह के उत्तरी भाग तथा गोड्डा का अधिकांश भाग अपेक्षाकृत कम वर्षा वाला क्षेत्र है।
  • राज्य में अप्रैल में बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाले नॉर्वेस्टर तुफानों से भी थोड़ी वर्षा होती है, जिसे काल वैशाखी या आम्र वर्षा भी कहा जाता है।

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