Physical Division : झारखण्ड का यह भाग असमान नदी घाटियों एवं मैदानी क्षेत्रों से मिलकर बना है। इस भाग की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 150-300 मीटर है। इस क्षेत्र में राजमहल की पहाड़ी स्थित है, जो कैमूर (बिहार) के पहाड़ी क्षेत्र तक विस्तृत है।
Physical Division :
(i) पाट क्षेत्र :
- यह झारखण्ड का सबसे ऊंचा भू-भाग है, (पारसनाथ पहाड़ी को छोड़कर) ।
- इसका विस्तार लातेहार, लोहरदगा और गुमला जिलों में पाया जाता है।
- इस क्षेत्र की औसत ऊंचाई 900-1100 मीटर है। यहां नेतरहाट सबसे ऊंचा क्षेत्र है।
- झारखण्ड क्षेत्र की तुलना दक्षिण पठार की मेसा आकृत्ति से की जा सकती है।
- इस क्षेत्र में डक्कन लावा के अवशेष पाये जाते हैं।
(ii) रांची एवं हजारीबाग का पठार/मध्यवर्ती पठार :
- यह झारखण्ड का दूसरा ऊंचा भू-भाग है।
- इसकी औसत ऊंचाई लगभग 600 मीटर है।
- दामोदर नदी हजारीबाग एवं रांची के पठार को दो भागों में से अलग करती है।
- यह पठार उत्थित समप्राय मैदान का अच्छा उदाहरण माना जाता है।
(iii) बाह्य पठार/निम्न पठार :
- यह रांची पठार एवं हजारीबाग पठार के किनारे अवस्थित है। इसकी औसत ऊंचाई 300-450 मीटर के बीच है। यद्यपि पारसनाथ पहाड़ी 1365 मीटर ऊंची है।
- भू-आकृति के दृष्टिकोण से इसे दो भागों में विभाजित किया जाता है- उत्तरी बाह्य पठार एवं दक्षिणी बाह्य पठार
- उत्तरी बाह्य पठार हजारीबाग पठार के उत्तरी किनारे पर अवस्थित है। इसका विस्तार पूर्व में संथाल परगना के पश्चिमी सीमा से लेकर पश्चिम में पलामू तक है। इसके अतगत लातेहार, पलामू गढ़वा कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह आदि जिले आते है।
- दक्षिणी बाह्य पठार का विस्तार रांची पठार के दक्षिण में है। इसका विस्तार पश्चिम में सिमडेगा एवं पश्चिमी सिंहभूम से लेकर पूर्व में पूर्वी सिंहभूम एवं सरायकेला तक पा जाता है।
(iv) चाईबासा का मैदान :
- पश्चिमी सिंहभूम का पूर्वी मध्यवर्ती भाग चाईबासा का मैदान कहलाता है।
- इसकी औसत ऊंचाई लगभग 150 मीटर है।
- यह उत्तर में दलमा श्रेणी, पूर्व में धालभूम की श्रेणी, दक्षिण में कोल्हान पहाड़ी, पश्चिम में सारंड तथा उत्तर-पश्चिम में पोड़ाहाट की पहाड़ी से घिरा है।
(v) राजमहल की पहाडियां :
- यह संथाल परगना क्षेत्र में 150 से 300 मीटर ऊंची हैं।
- इसके अधिकांश भाग का निर्माण जुरैसिक काल में लावा प्रवाह से हुआ।
- राजमहल ट्रैप झारखण्ड के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है।
- राजमहल ट्रैप बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है।
छोटानागपुर का पठार |
झारखण्ड क्षेत्र का प्रमुख प्राकृतिक भाग छोटानागपुर का पठार है। |
उच्चावच के दृष्टिकोण से झारखंड छोटानागपुर के पठार के रूप में विख्यात रहा है। |
छोटानागपुर का पठार प्रायद्वीपीय पठार का उत्तरी-पूर्वी हिस्सा है। |
छोटानागपुर का पठार पहाड़ियों एवं घाटियों का क्षेत्र है। |
छोटानागपुर का पठार राज्य के कुल भू-भाग का 47.8 प्रतिशत क्षेत्र घेरे हुए है। |
छोटानागपुर का पठार भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीनतम भू-खंड गोंडवाना लैण्ड का एक भाग है। |
छोटानागपुर का पठार समप्राय धरातल एवं अवशिष्ट स्थलाकृतियों द्वारा निर्मित हुआ है। |
छोटानागपुर पठार की चट्टानें क्रिस्टलीय एवं कायान्तरित प्रकार की है। |
छोटानागपुर के पठार को ‘खनिजों का गोदाम’ भी कहा जाता है। |
छोटानागपुर का पठार पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, रांची, हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह, पलामू,गोड्डा, दुमका, देवघर, साहेबगंज आदि जिलों में विस्तृत है। |
Medieval History of Jharkhand in Hindi