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झारखण्ड का इतिहास | History of Jharkhand In Hindi

History Of Jharkhand : झारखंड का इतिहास बहुत पुराना और गौरव से भरा रहा है। मैं इस लेख के माध्यम से झारखंड के इतिहास के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं, झारखंड और जी.के. के बारे में सभी प्रकार की जानकारी के लिए मददगार साबित होगी। इसके लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट करें।

झारखंड का प्राचीन इतिहास | नामकरण

  • झारखण्ड दो शब्दों से मिलकर बना है। प्रथम ‘झार’ जिसका अर्थ होता है- वन तथा द्वितीय ‘खण्ड’ जिसका अर्थ है भू-भाग अर्थात् ‘झारखण्ड का शाब्दिक अर्थ है- वन प्रदेश।
  • झारखण्ड क्षेत्र का सर्वप्रथम उल्लेख ऐतरेय ब्राह्मण में पुण्ड या पुण्ड्र नाम से मिलता है।
  • वायु पुराण में से इसे मुरण्ड तथा विष्णु पुराण में मुंड कहा गया है।
  • महाभारत के ‘दिग्विजय पर्व’ में इस क्षेत्र को ‘पुंडरीक देश’ कहा गया है। इसी ग्रंथ में इसे ‘पशु.भूमि’ भी कहा गया है।
  • टॉलमी ने झारखण्ड को ‘मुंडल’ शब्द से संबोधित किया है।
  • फाह्यान ने छोटानागपुर क्षेत्र को ‘कुक्कुट-लाड’ कहा है। ह्वेनसांग द्वारा छोटानागपुर के लिए ‘की-लो-ना-सु-फा-ला-ना’ तथा ‘कर्ण-सुवर्ण’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • हवेनसांग ने राजमहल क्षेत्र को ‘कि चिंग-काई-लॉ’ नाम से संबोधित किया है। इसके पहाड़ी
    अंचल को ‘दामिन-ए-कोह’ कहा जाता है।
  • समुद्रगुप्त की प्रयाग शस्ति में झारखण्ड को मुरुंड देश कहा गया है।
  • 1765 ई. से 1834 ई. तक (ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन काल में) यह क्षेत्र नागपुर या छोटानागपुर के नाम से जाना जाता था। 1833 ई. में साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी की स्थापना के पश्चात एजेंसी का मुख्यालय विलकिंसनगंज या किसुनपुर के नाम से जाना जाने लगा। बाद में इसी को रांची कहा जाने लगा।

झारखंड का प्राचीन इतिहास | नामकरण

  • संथाल परगना का क्षेत्र प्राचीन काल में ‘नरीखंड’ तथा बाद में ‘कांकजोल’ के नाम से जाना जाता था।
  • भागवत पुराण में झारखण्ड को किक्कट प्रदेश कहा गया है।
  • पूर्व मध्यकालीन संस्कृत साहित्य में छोटानागपुर को ‘कलिन्द देश’ कहा गया है।
  • पहली बार 13वीं शताब्दी के एक ताम्रपत्र में झारखण्ड शब्द का उल्लेख मिलता है।
  • मुगल काल में झारखण्ड क्षेत्र ‘खुखरा या कुकरा’ नाम से जाना जाता था।
  • आइने अकबरी में इस प्रदेश को ‘कोकरा’ तथा ‘खंकारह’ कहा गया है।
  • जहागीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ में इस क्षेत्र के लिए ‘खोखरा’ शब्द का प्रयोग किया है।
  • अबुल फजल कृत ‘अकबरनामा’ में छोटानागपुर क्षेत्र को ‘झारखण्ड’ कहा गया है।
  • शम्स-ए-शिराज अफीफ, सल्लिमुल्ला तथा गुलाम हुसैन आदि लेखकों ने अपने-अपने ग्रंथों में ‘झारखण्ड’ शब्द का उल्लेख किया है।
  • कबीर दास के दोहे एवं मल्लिक मोहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ में भी झारखण्ड शब्द का उल्लेख है।
  • चीनी यात्री युआन च्यांग, ईरानी यात्री अब्दुल लतीफ, ईरानी धर्माचार्य मुल्ला बहबहानी, बिशप हीबर के यात्रा वृतांतों में भी छोटानागपुर और राजमहल का वर्णन है।
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