झारखण्ड के प्राचीन राजवंश : प्राचीन में राज्य निर्माण का कार्य मुण्डाओं ने आरंभ किया। झारखंड का इतिहास बहुत पुराना और गौरव से भरा रहा है। मैं इस लेख के माध्यम से झारखंड के इतिहास के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं, झारखंड और जी.के. के बारे में सभी प्रकार की जानकारी के लिए मददगार साबित होगी। इसके लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट करें।
इनमें तीन राजवंश प्रमुख थे। ये हैं-छोटानागपुर के नागवंश, पलामू रक्सैल तथा सिंहभूम के सिंहवंश |
Chotanagpur Nagavansh of Jharkhand
- छोटानागपुर में स्थापित नागवंशी राज्य मुख्यतः जनजातियों का राज्य था।
- इस राज्य की स्थापना प्रथम शताब्दी में फणिमुकुट राय ने की थी।
- फणिमुकुट राय पुंडरीक नाग एवं वाराणसी की ब्राह्मण कन्या पार्वती का पुत्र था।
- फणिमुकुट राय का विवाह पंचेत के गोवंशीय राजपूत घराने में हुआ था।
- फणिमुकुट राय के राज्य में 66 परगने थे। (22 घटवारी में, 18 खुखरागढ़ में, 18 दोइसागढ़ में और 8 जरचीगढ़ में)
- फणिमुकुट राय ने सुतियाम्बे को अपनी राजधानी बनायी।
सुतियाम्बे में उन्होंने एक सूर्य मंदिर की स्थापना की थी। - फणिमुकुट राय के समय यहां की जनता मुख्यतः जनजातीय थी। उनके राजा बनने के बाद ही यहां पर ब्राह्मण, राजपूत तथा अन्य हिन्दू जातियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई।
- फणिमुकुट राय को नागवंश का आदिपुरुष माना जाता है।
- फणिमुकुट राय का दीवान पांडे भवराय श्रीवास्तव थे।चौथा नागवंशी राजा प्रताप राय ने सुतियाम्बे से राजधानी बदल कर स्वर्णरेखा नदी के तट पर चुटिया ले गया।
- नयी राजधानी में बाहर लोगों को बुलाकर बसाया गया।
- प्रताप राय के राज्य में सर्वत्र शांति व्यवस्था कायम थी।
- एक अन्य नागवंशी राजा भीमकर्ण ने राजधानी परिवर्तन किया और उसे चुटिया से पुनः खुखरा ले गया।
- भीमकर्ण को सरगुजा के हैहयवंशी रक्सैल राजा के साथ भीषण युद्ध करना पड़ा। बरवा की इस लड़ाई में भीमकर्ण विजयी हुआ। भीमकर्ण ने रक्सैलों से जो कुछ लुटा उसमें वासुदेव की एक मूर्ति भी थी।
- भीमकर्ण ने भीमसागर का निर्माण करवाया जो आज भी है।
- नागवंशी राजा ने डोइसा में नवरत्न नामक पंचमंजिला भवन का निर्माण करवाया।
- यह राजवंश मध्यकाल व आधुनिक काल तक जारी रहा।
- नागवंशी राजाओं की राजधानियों का क्रम इस प्रकार रहा- सुतियाम्बे, चुटिया, खुखरा, डोइसा, पालकोट, रातूगढ़।