Revolt of 1857 and Jharkhand : झारखंड का इतिहास बहुत पुराना और गौरव से भरा रहा है। मैं इस लेख के माध्यम से झारखंड के इतिहास के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं, झारखंड और जी.के. के बारे में सभी प्रकार की जानकारी के लिए मददगार साबित होगी। इसके लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट करें।
Revolt of 1857 and Jharkhand
- झारखण्ड में 1857 का विद्रोह 12 जून, 1857 को देवघर जिले के रोहिणी गांव में सैनिकों के विद्रोह के साथ प्रारंभ हुआ।
- इस गांव में मेजर मेकडोनल्ड के नेतृत्व में थल सेना की 32वीं रेजिमेंट थी, जिसके तीन सैनिकों ने विद्रोह कर लेफ्टिनेंट नार्मन लेस्ली की हत्या कर दी।
- 1857 के विद्रोह का मुख्य केन्द्र हजारीबाग, रांची, चुटुपालू की घाटी, चतरा, पलामू तथा चाईबासा थे।
- 30 जुलाई को हजारीबाग एवं रामगढ़ के सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया, पर इसका मुख्य केन्द्र रांची बना।
- 1857 के विद्रोह में रांची के ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, टिकैत उमराव सिंह, पाण्डेय गणपत राय, शेख भिखारी, हजारीबाग के जगत लाल सिंह, रामगढ़ बटालियन के जमादार माधव सिंह,
- डोरांडा बटालियन के जयमंगल पाण्डेय एवं नादिर अली,
- पोड़ाहाट (सिंहभूम) के राजा अर्जुन सिंह, विश्रामपुर के चेरो सरदार भवानी राय,
- पलामू के नीलाम्बर एवं पीताम्बर सहित अन्य कई नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
- इस विद्रोह के समय रामगढ बटालियन का मुख्यालय रांची में था।
- 1857 के विद्रोह के समय हजारीबाग का उपायुक्त कप्तान सिम्पसन था।
- इस संघर्ष में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव एवं पाण्डेय गणपत राय की मुक्तिवाहिनी सेना का योगदान उल्लेखनीय है।
- इस मुक्तिवाहिनी सेना के संस्थापक विश्वनाथ शाहदेव थे।
- इसके सेनापति पाण्डेय गणपत राय और प्रमुख सैनिकों में शेख भिखारी थे।
- मुक्तिवाहिनी सेना बाबू कुंवर सिंह के सम्पर्क में थी।
- दो द्रोहियों लोहरदगा के जमींदार महेश नारायण शाही तथा विश्वनाथ दुबे की सहायता से अंग्रेज मेजर नशन लोहरदगा के निकट कंकरंग घाट के जंगलों में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और पाण्डेय गणपतराय को मार्च 1858 को गिरफ्तार करने में सफल हुआ।
- कमिश्नर डाल्टन के आदेशानुसार 16 अप्रैल, 1858 को ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव एवं 21 अप्रैल, 1858 को पाण्डेय गणपत राय को वर्तमान जिला स्कूल के मुख्य द्वार के समीप, जहां इन दिनों शहीद स्थल बना हुआ है, एक कदम वृक्ष से लटका कर फांसी दे दी गयी।
- ओरमांझी क्षेत्र के टिकैत उमरांव सिंह तथा उनके दीवान शेख भिखारी को 8 जनवरी, 1858 को चुटुपालू घाटी में एक ही वृक्ष से लटका कर फांसी दे दी गयी थी। 2 अक्टूबर, 1857 को चतरा में मेजर इंगलिश तथा जयमंगल पाण्डेय एवं नादिर अली के सैनिकों के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ।
- 4 अक्टूबर, 1857 को डिप्टी कमिश्नर सिमसन की आज्ञा से जयमंगल पांडेय और नादिर अली को चतरा तालाब (चतरा) के किनारे एक आम के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गयी।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय धनबाद का उपायुक्त कैप्टन ओकस था।
- पलामू में इस विद्रोह का नेतृत्व नीलाम्बर एवं पीताम्बर ने किया।
- नीलांवर एवं पीताम्बर ने भोगता, खरवार एवं चेरों को एकजुट कर सैनिक दस्ता का गठन किया।
- सिंहभूम के पोड़ाहाट के राजा अर्जुन सिंह ने इस संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।