Revolutionary Terrorism & Jharkhand : झारखंड का इतिहास बहुत पुराना और गौरव से भरा रहा है। मैं इस लेख के माध्यम से झारखंड के इतिहास के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं, झारखंड और जी.के. के बारे में सभी प्रकार की जानकारी के लिए मददगार साबित होगी। इसके लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट करें।
Revolutionary Terrorism & Jharkhand
- 1912 ई. के पूर्व झारखण्ड संयुक्त बंगाल का ही भाग था। अतः बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन. का इस क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा।

- रांची क्रांतिकारियों का एक प्रमुख केन्द्र था। यहां गणेश चन्द्र घोष ने क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया।
- 1913 ई. में गिरिडीह में निर्मल चन्द बनर्जी ने खंभों पर ‘आवर स्वाधीन भारत शीर्षक के पर्चे चिपकाये।
- ये पर्चे 24 परगना के इन्द्रभूषण राय के पुत्र जीवन क्रिस्टो राय द्वारा गिरिडीह लाये गये।
- देवघर क्रांतिकारियों का प्रमुख केन्द्र था।
- देवघर में स्वर्ण संघ नामक एक संस्था कायम की गयी थी, जिसका उद्देश्य क्रांतिकारी क्रियाकलापों का प्रसार करना था।
- बारीन्द्र कुमार घोष इस संघ के प्रमुख सदस्यों में से एक थे।
- देवघर में स्थित शीलेर बाड़ी नामक मकान का उपयोग क्रांतिकारी बम बनाने तथा अपने सहयोगियों को प्रशिक्षित करने में किया करते थे।
- 1915 ई. में इस मकान से बम बनाने की सामग्रियां बरामद हुई।
- 1915 ई. में देवघर में शान्ति कुमार बख्शी द्वारा युवकों को क्रांतिकारी प्रशिक्षण दिया जाता था।
- जमशेदपुर (सिंहभूम) में ढाका, मेमनसिंह तथा कलकत्ता के क्रांतिकारी आकर गुप्त प्रचार करते थे।
- उनमें से कुछ का सम्पर्क तो विदेशों में रह रहे क्रांतिकारियों से भी था।
- सिंहभूम क्षेत्र में 1916 में अलीपुर जेल से मुक्त सुधांशु भूषण मुखर्जी नामक क्रांतिकारी सोनुआ गांव में रहता था।
- बाद में यह हजारीबाग में रहने लगा।
- टाटा कम्पनी में कार्यरत अमरनाथ मुखर्जी रक्तरंजित क्रांति से भारत को मुक्त कराना चाहता था।
- 1908 ई. में उसने न्यूयार्क से स्पष्ट घोषणा की कि रक्तरंजित क्रांति से ही भारत को मुक्त किया जा सकता है।
- ढाका निवासी सुरेन्द्र कुमार राय भी टाटा कम्पनी की नौकरी के साथ-साथ क्रांतिकारियों की मदद करता था।
- संत कोलम्बा महाविद्यालय हजारीबाग के कुछ छात्र भी क्रांतिकारियों से मिले हुए थे
- हजारीबाग में बाघा जतिन के नाम से पुकारे जाने वाले छात्र राम विनोद सिंह को 14 दिसम्बर, 1918 को गिरफ्तार किया गया।
- राष्ट्रीय स्तर के कुछ क्रांतिकारी भी झारखण्ड में आश्रय पाते रहे।
- काकोरी केस के प्रमुख अभियुक्त असफाकउल्ला खां, कलकत्ता के प्रफुल्ल चन्द्र घोष तथा ज्योति पंत राय यहां कुछ दिनों तक छुपे रहे।
- वस्तुतः झारखण्ड क्षेत्र में क्रांतिकारी आन्दोलन 1931-32 ई. तक फलता-फूलता रहा, जिसका नेतृत्व डॉ. यदुगोपाल मुखर्जी तथा बसावन सिंह के हाथों में था।
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