Tribes Of Jharkhand : झारखंड का इतिहास बहुत पुराना और गौरव से भरा रहा है। मैं इस लेख के माध्यम से झारखंड के इतिहास के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।आशा है कि यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी और आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं, झारखंड और जी.के. के बारे में सभी प्रकार की जानकारी के लिए मददगार साबित होगी। इसके लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट करें।
झारखंड का इतिहास | जनजातियां
- खड़िया, बिरहोर तथा असुर छोटानागपुर की प्राचीनतम जनजातियां हैं।
- मुंडा, उरांव, हो जनजातियां बाद की हैं।
- कोरवा प्राचीन एवं बाद के बीच की जनजाति है। .
- चेरो, खरवार, भूमिज तथा संथाल जनजातियां मुंडा, उरांव, हो जनजातियों से भी बाद की हैं।
- इस तरह जनजातियों का ऐतिहासिक क्रम है : खड़िया, बिरहोर, असुर, कोरवा, मुंडा, उरांव, हो चेरो, खरवार, भूमिज, संथाल ।
- खड़िया और बिरहोर संभवतः कैमूर की पहाड़ियों से होकर छोटानागपुर में प्रविष्ट हुई थी। वे विरजिया और असुर की तरह छोटानागपुर में प्रविष्ट होने वाली प्रारंभिक जनजातियों में से हैं।
- मुंडा जनजाति का प्रवेश-पथ और समय अनिश्चित है। मुंडा परम्परा के अनुसार आर्यों के विस्तार के बाद वे रोहतास क्षेत्र और बाद में छोटानागपुर क्षेत्र में चले आये। आगे चलकर मुंडाओं ने ऐतिहासिक नागवंश की स्थापना में योगदान दिया।
- उरांव जनजाति के लोग संभवतः दक्षिण भारत के निवासी थे, जो कई जगहों पर घूमते हुए छोटानागपुर पहुंचे थे। उरांव की दो शाखाओं में से एक राजमहल के पास बस गयी। दूसरी शाखा के कुछ लोग पलामू में बस गये और शेष छोटानागपुर आ गये।
- 1000 ई.पू. तक चेरो, खरवारों तथा संथालों को छोड़कर यहां उपलब्ध प्रायः सभी जनजातियां छोटानागपुर क्षेत्र में बस चुकी थीं।