Agriculture of Jharkhand: अगहनी फसल के बाद भदई फसल का स्थान आता है,कुल कृषिगत भूमि में 20.26 %भाग भदई फसल की खेती जाती है। रबी फसल को वैशाखी या वैशाख फसल भी कहा जाता है। झारखंड की कुल कृषि भूमि के 9 पॉइंट 20% भाग में रबी फसल की जाती है। रबी फसलों में गेहूं का स्थान पहला स्थान है अन्य रबी फसलें हैं जौ, चना, तिलहन इत्यादि।
Agriculture of Jharkhand:
- झारखण्ड मूलतः एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां की कुल क्रियाशील आबादी का लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
- कृषि और संबंधित गतिविधियां झारखण्ड की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार हैं।
- राज्य में कृषि सामान्यतः परम्परागत ढंग से की जाती है। अतः यहां की कृषि व्यावसायिक न होकर जीवन निर्वाह प्रकृति की है।
- राज्य में ऊंचे भाग को टांड तथा निम्न भाग को दोन कहा जाता है।
- यहां की फसलों के कुल उत्पादन में 95 प्रतिशत खाद्य फसलों का है, जबकि अखाद्य फसलों का है। हिस्सा केवल 5 प्रतिशत है।
- खाद्य फसलों में चावल की प्रधानता है, जिसकी कुल बुआई वाले क्षेत्रफल के 60 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है।
- अन्य खाद्य फसलों में गेहूं, मक्का, ज्वार, मडुआ आदि प्रमुख हैं।
- झारखण्ड में खेती योग्य 38 लाख हेक्टेयर भूमि हैं।
- झारखण्ड में बोई गयी भूमि का क्षेत्रफल कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 23 प्रतिशत है।
- झारखण्ड में समस्त बोया गया क्षेत्र लगभग 26 प्रतिशत है, जिसमें 23 प्रतिशत शुद्ध बोया गया क्षेत्र और 3 प्रतिशत एक से अधिक बार बोया गया क्षेत्र सम्मिलित है।
- झारखण्ड में 46 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की आवश्यकता है, जबकि उत्पादन लगभग 22 लाख टन होता है।
- झारखण्ड की कृषि मॉनसून पर निर्भर है।
(i) Agriculture of Jharkhand: फसलों का मौसमवार विवरण :
- झारखण्ड में तीन तरह की फसलें होती हैं- भदई, अगहनी और रबी एक चौथी फसल साग सब्जी की है जिसे ‘गरमा’ कहते हैं।
- भदई में गोड़ा धान, मक्का, मडुआ, गोंदली, उड़द, मूंग, कोदो, तिल आदि, अगहनी में धान, सुरगुजा आदि तथा रबी में गेहूं, चना, जौ, दहलन, सरसों, टेबा धान आदि मुख्य फसलें हैं।
- कुल कृषिगत भूमि के 69.75 प्रतिशत में अगहनी, 20.26 प्रतिशत में भदई, 9.20 प्रतिशत में रब्बी तथा केवल 0.73 प्रतिशत में गरमा की खेती होती है।
- खरीफ फसल: यह वर्षा का प्रारंभ होने पर जून से जुलाई में बोयी जाती है और सितम्बर से लेकर अक्टूबर नवम्बर तक काट ली जाती है। इसके अंतर्गत मुख्य रूप से धान, मक्का, अरहर, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, मूंग, उरद, करथी, तिल, महुआ, सुरगुजा, सूरजमुखी आदि फसलें आती हैं।
- रबी फसल: यह अक्टूबर से दिसम्बर तक बोयी जाती है और मार्च से अप्रैल तक काट ली जाते है। इसके अंतर्गत मुख्य रूप से गेहूँ, जौ, मक्का, चना, मसूर, मटर, राई, सरसों, तीसी कुसुम सूरजमुखी इत्यादि फसलें आती हैं।
- जायद या गरमा फसल :खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन के अलावा झारखण्ड के कु क्षेत्रों में कृत्रिम सिंचाई की व्यवस्था करके जायद फसलों की कृषि भी की जाती है। इसमें मुख रूप से फल एवं सब्जियां आती है।
(ii)Agriculture of Jharkhand: प्रमुख फसलें:
- धान: यह राज्य की मुख्य खाद्य फसल है। उत्पादन की दृष्टि से इसका स्थान प्रथम है। झारखण्ड में धान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र सिंहनूम, रांची, गुमला और दुमका है, जह झारखण्ड के कुल धान उत्पादन के लगभग आधे हिस्सा का उत्पादन होता है।
- मक्का: राज्य में उत्पादन की दृष्टि से इस फसल का स्थान दूसरा है। झारखण्ड में मक्का का उत्पादन सबसे अधिक पलामू में होता है। इसके बाद हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह और साहेबगंज का स्थान आता है।
- गेहूं: गेहूं राज्य का तीसरा प्रमुख फसल है। इसका सर्वाधिक उत्पादन पलामू जिले में होता है. जबकि दूसरे स्थान पर हजारीबाग एवं तीसरे स्थान परगोड्डा है।
- गन्ना: यह राज्य की एक नकदी फसल है और इसकी सबसे अधिक खपत चीनी उद्योग में है हजारीबाग, पलामू, दुमका, गोड्डा, साहेबगंज और गिरिडीह इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
झारखण्ड की प्रमुख फसलें तथा उत्पादक क्षेत्र
फसल का नाम | उत्पादक जिला / प्रमंडल |
धान | सिंहभूम दुमका, रांची, गुमला, हजारीबाग, साहेबगंज, गिरिडीह, पलामू, देवघर, गोड्डा। |
मडुआ | राधी, हजारीबाग, गिरिडीह |
मक्का | पलामू हजारीबाग, संथालपरगना रांची। |
गन्ना | पलामू हजारीबाग, संथाल परगना |
गेहूँ | पलामू, हजारीबाग, गोडा, देवघर गिरिडीह, रांची। |
जौ | पलामू । |
ज्वार-बाजरा | हजारीबाग, रांची सिंहभूम, संथालपरगना। |
दलहन-तिलहन | पलामू । |
जौ: यह भारत की प्राचीनतम फसल है। पलामू, साहेबगंज, गोड्डा, सिंहभूम, गुमला, लोहरदगा और गिरिडीह इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
चना: झारखण्ड में चना का सर्वाधिक उत्पादन पलामू में होता है। चना के अन्य उत्पादक जिले क्रमश: है- गोड्डा. साहेबगंज, रांची और हजारीबाग दलहनी फसलों में क्षेत्रफल की दृष्टि से चने की खेती सर्वाधिक होती है।
अरहर: यह एक दलहनी फसल है। दलहनी फसलों में उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड में चना के बाद इसकी खेती सर्वाधिक क्षेत्र में की जाती है। अरहर के उत्पादन में पलामू का स्थान प्रथम है। हजारीबाग, रांची, गुमला तथा संथाल परगना इसके अन्य उत्पादक जिले हैं।
मसूर:मसूर की खेती पलामू और संथाल परगना क्षेत्र में सर्वाधिक होती है, लेकिन हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, लोहरदगा आदि क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाती है।
उड़द:रांची, गुमला, पलामू, लोहरदगा एवं संथाल परगना उड़द उत्पादन के प्रमुख जिले हैं।
कुरथी: इसकी खेती राज्य के सभी क्षेत्रों में की जाती है। पलामू, हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह तथा संथाल परगना इसके मुख्य उत्पादक जिले हैं।
महुआ: यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है। इसकी बुआई अप्रैल-मई में की जाती है एवं कटाई जून-जुलाई में कर ली जाती है। रांची, हजारीबाग एवं गिरिडीह इसके मुख्य उत्पादक जिले हैं।
ज्वार: यह एक मोटा अनाज है, इसकी खेती शुष्क एवं उच्च भूमि पर की जाती है। हजारीबाग रांची, सिंहभूम एवं संथाल परगना इसके मुख्य उत्पादक जिले हैं।
बाजरा: यह भी एक मोटा खाद्य फसल है, जिसका प्रयोग गरीबों द्वारा खाद्यान्न के रूप में एवं पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। हजारीबाग, रांची, सिंहभूम एवं संथाल परगना इसके मुख्य उत्पादक जिले हैं।
तिलहन: झारखण्ड में तिलहन फसलों के अंतर्गत सरसों, तीसी, कुसुम, रबी फसल के रूप में तथा मूंगफली, तिल, सरगुजा आदि खरीफ फसल के रूप में पैदा की जाती है। उत्पादन की दृष्टि से तिलहनी फसलों में प्रथम स्थान सरसों का है, तीसी दूसरे एवं सरगुजा तीसरे स्थान पर हैं। तिलहन का सर्वाधिक उत्पादन पलामू प्रमण्डल में होता है।