Arrival of Christians in Jharkhand : गौर करने की बात है कि वर्ष 1872 में ही रांची में लिथो प्रेस की स्थापना हुई। दो नवंबर, 1845 को ही यहां जर्मन मिशनरियों का आगमन हुआ। धीरे-धीरे ईसाईयों की संख्या बढ़ती गई और कुछ वर्षों में उन्होंने यहां हिंदी और स्थानीय भाषा सीखकर पत्रिका का प्रकाशन शुरू कर दिया। एक दिसंबर, 1872 को इसका पहला अंक आया था।
Arrival of Christians in Jharkhand :
- झारखण्ड क्षेत्र में ईसाइयों का प्रवेश 1845 ई. में हुआ।
- राज्य का पहला ईसाई मिशन गॉस्सनर मिशन था।
- प्रथम दल में चार प्रचारक आये थे- (1) एमिलो स्कॉच (2) कैल्सर अगस्ट ब्रांट, (3) फ्रेडरिक वाच
और (4) थियोडोर जैक । - ये चारों प्रचारक जर्मनी के फादर जी.ई. गॉस्सनर द्वारा भेजे गये थे। 2 नवम्बर, 1845 ई. को ये रांची पहुंचे।
- रांची में इन प्रचारकों को छोटानागपुर के कमिश्नर कर्नल आउस्ले और डिप्टी कमिश्नर हेन्निंगटन का सहयोग मिला और उन्हीं के आग्रह पर इन लोगों ने यहां गॉस्सनर मिशन की स्थापना की।
- इसका नामकरण इसके संस्थापक फादर गॉस्सनर के नाम पर हुआ था।
- झारखण्ड में इस मिशन के वास्तविक संस्थापक डॉ. हेकरलिन थे।
- इस मिशन के द्वारा अनाथों, विधवाओं एवं गरीबों के लिए रांची में 1 दिसम्बर, 1845 को ‘बेथे सदा’ (दया / पवित्रता का घर) की स्थापना की गयी।
- गॉस्सनर मिशन के द्वारा 9 जून, 1845 ई. को चार कबीरपंथी आदिवासियों केशव, बंधु नवीन और घुरन (सभी रांची जिला निवासी) को ईसाइयत में शामिल किया गया और उनका ‘बपतिस्मा किया गया।
- 1850 ई. में गोविंदपुर, 1851 ई. में चाईबासा, 1854 ई. में हजारीबाग तथा 1855 ई. में पिठौरिया में मिशन की स्थापना हुई।
- राज्य में लूथरन चर्च का शिलान्यास 18 नवंबर, 1855 को हुआ।
- ऐंग्लिकन मिशन / चर्च ऑफ इंग्लैण्ड मिशन का प्रवेश झारखण्ड में अप्रैल 1869 ई. में हुआ।
- 1869 ई. में गॉस्सनर मिशन में विभाजन के पश्चात मूल मिशन का नाम एस. पी. जी. मिशन रखा गया। रे. जे. सी. विटली को इसका प्रमुख बनाया गया।
- 1890 ई. में एस.पी.जी. मिशन को एक बिशपी का दर्जा प्रदान किया गया। विटली इसका प्रथम विशप बनाया गया।
- जुलाई 1919 ई. में गॉस्सनर मिशन चर्च में परिवर्तित हो गया।
- झारखण्ड में रोमन कैथोलिक मिशन की शुरुआत 1869 ई. में हुई।
- रोमन कैथोलिक मिशन को फादर लिवेंस, फादर जॉन बापटिस्ट हौफमेन जैसे धर्मप्रचारकों की बहुमूल्य सेवा मिली।
- ‘इन्साइक्लोपिडिया मुंडारिका फादर हौफमेन की अमर कृति है।
- द यूनाइटेड फ्री चर्च ऑफ स्काटलैंड नामक मिशन की शुरुआत पचंबा में 1871 ई. में कुछ डॉक्टरों ने मिलकर की।
- डॉ. एंडू कैम्पबेल को संथालों के बीच उत्कृष्ट सेवा के लिए कैंसर-ए-हिन्द की उपाधि से विभूषित किया गया। सम्मानपूर्वक उन्हें संथालों का देवदूत कहा जाता था।
- डॉ. कैम्पबेल की अमर कृति संथाली अंग्रेजी शब्दकोश आज भी अविस्मरणीय कृति है।
- 1929 ई. में द यूनाइटेड फ्री चर्च ऑफ स्कॉटलैंड का नाम बदलकर संथाल मिशन ऑफ द चर्च ऑफ स्कॉटलैंड कर दिया गया।
- डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन के द्वारा 1899 ई. में संत कोलम्बा महाविद्यालय की स्थापना की गयी। प्रारंभ में इस महाविद्यालय में मात्र 13 विद्यार्थी थे। इसके प्रथम प्राचार्य आर. जे.एच. मरें थे।
- डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन के प्रयास से ईसाई धर्म ग्रहण करने वाला प्रथम व्यक्ति गणपत था।
- झारखण्ड की शैक्षिक प्रगति में सराहनीय भूमिका निभाने वाले प्रमुख मिशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया, जी.ई.एल. मिशन तथा रोमन कैथोलिक चर्च थे। इनके प्रयासों से यहां आधुनिक शिक्षा का प्रचार
प्रसार हुआ।