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Complete information about Baba Dham in Hindi

Baba Dham : or Baba Baijnath Dham Temple is situated in Deoghar district of Jharkhand state. It is a famous pilgrimage site for Hindus. Baba Baijnath Dham Temple, Deoghar is considered one of the twelve Jotirlingas in the Shiva Purana. In every spring, there is a crowd of millions of Shiva devotees who come here from different parts of the country as well as from abroad. These Shiva devotees take a distance of 105 km by taking Gangajal from the Ganges River from Sultanganj in Bihar and offer water to Lord Shiva in Devghar.

बाबा बैजनाथ धाम की कथा :-

पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण जिसका दस सिर था भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था परन्तु भगवन शिव खुश नहीं हो रहे थे तो वह एक-एक करके अपनी सिर काटकर शिवलिंग पर चढाने लगे 9 सिर  चढाने के बाद जब रावण 10 वां सिर चढाने वाला था और अपने प्राणों की आहुति देने वाला था की शिव  प्रसन्न हो गये और प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उसे वर मांगने को कहा तब रावण ने भगवान शिव को ही लंका साथ ले जाने का वरदान मांग लिया।

रावण के पास सोने की लंका के अलावा बहुत सारी शक्ति तो थी साथ ही कई देवता को भी लंका में रखे हुए थे इस वजह से रावण ने इच्छा जताई कि भगवान शिव आप हमारे साथ स्वयं लंका पर रहे एवं हमारे साथ चले।

महादेव ने इसकी मनोकामना को पूरा करते हुए उसे वार दे दिया साथी साथ ही एक सर्त रखी कि अगर उन्हें शिवलिंग के रास्ते में कहीं भी रखा तो मैं फिर वही विराजमान हो जाऊंगा और नहीं उठूंगा।

इधर भगवान शिव की बात सुनते ही सभी देवी-देवता चिंतित हो गए समाधान के लिए सभी भगवान विष्णु के पास गए तभी भगवान विष्णु ने उनका दुःख दूर करने की बात कही।

उधर जब रावण उस शिवलिंग को लेकर जा रहा था तभी उसे रास्ते में उसे लघुशंका लगी और रावण वह शिवलिंग एक एक बैजू नामक ग्वाला को पकड़ने के लिए दे दिया और वह लघुशंका करने चला गया पर उसकी लघुशंका खत्म ही नहीं हो रही थी और वह कई घंटो तक लघुशंका करता रहा  आज भी वहा एक तालाब है जिसे रावण की लघुशंका से उत्पन्न तालाब कहा जाता है।

वास्तव में बैजू नामक ग्वाला भगवन बिष्णु थे एवं ग्वाला के रुप में थे। रावण से लिया हुआ शिवलिंग वह वही स्थापित कर दिया तथा वह चला गया इसलिए इस स्थान को बैजू नामक ग्वाला नाम पर बैजनाथ भी कहा जाता है।

जब रावण वापस आया तो देखा वह शिवलिंग वही स्थापित हो गयी है। वह शिवलिंग को बहुत उठाने की कोशिश की परन्तु उठा नहीं पाया अंत में उसे अंगूठे से दबा कर वही पर छोड़ कर चला गया।

आज वह शिवलिंग झारखण्ड के देवघर में स्थित बैजनाथ अथवा BaBa Dham से जाना जाता है।

कैसे पहुचें :-

  • वायु मार्ग :- राँची, गया, पटना, और कोलकाता नजदीकी हवाई अड्डे हैं जहाँ से सड़क मार्ग से देवघर पहुचा जा सकता हैं
  • रेल मार्ग :- निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडिह यहाँ से 10 कि॰मी॰ है जो हावड़ा पटना दिल्ली लाइन पर स्थित है।
  • सड़क मार्ग   :- कोलकाता से 373 कि मी, गिरिडीह से 112 कि मी, पटना से 281 कि मी
  • बस सेवा :- भागलपुर, हजारीबाग, रांची, जमशेदपुर और गया से देवघर के लिए सीधी और नियमित बस सेवा उपलब्ध है।

प्रमुख दर्शनीय स्थल :-

  • त्रिकुट :-  देवघर से 16 किलोमीटर दूर दुमका रोड पर एक खूबसूरत पर्वत त्रिकूट स्थित है। इस पहाड़ पर बहुत सारी गुफाएं और झरनें हैं। बैद्यनाथ से बासुकीनाथ मंदिर की ओर जाने वाले श्रद्धालु मंदिरों से सजे इस पर्वत पर रुकना पसंद करते हैं।
  • नौलखा मंदिर – देवघर के बाहरी हिस्से में स्थित यह मंदिर अपने वास्तुशिल्प की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण बालानंद ब्रह्मचारी के एक अनुयायी ने किया था जो शहर से 8 किलोमीटर दूर तपोवन में तपस्या करते थे। तपोवन भी मंदिरों और गुफाओं से सजा एक आकर्षक स्थल है।
  • नंदन पहाड़ :- इस पर्वत की महत्ता यहां बने मंदिरों के झुंड के कारण है जो विभिन्न भगवानों को समर्पित हैं। पहाड़ की चोटी पर कुंड भी है जहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
  • सत्संग आश्रम :- ठाकुर अनुकूलचंद्र के अनुयायियों के लिए यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रतीक है। सर्व धर्म मंदिर के अलावा यहां पर एक संग्रहालय और चिड़ियाघर भी है।

श्रावणी मेला :-

सावन महीने में चलने वाले इस श्रावणी मेला हर रोज कावंड़ियों की भीड़ लाख की संख्या पार कर जाती है। यह किसी महाकुंभ से कम नहीं है। झारखंड के देवघर में लगने वाले इस मेले का सीधा सरोकार बिहार के सुलतानगंज से है। यहीं गंगा नदी से जल लेने के बाद ‘बोल बम’ के जयकारे के साथ कांवड़िये नंगे पाँव देवघर की यात्रा आरंभ करते हैं धन्यबाद।

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